Bijli Sakhi Yojana (छत्तीसगढ़)

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Bijli Sakhi Yojana (छत्तीसगढ़)

बिजली सखी योजना क्या है?

बिजली सखी योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को नियमित आय प्रदान करना और बिजली मीटर रीडिंग सेवाओं में सुधार लाना है। कई आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों में पहले मीटर रीडिंग में समस्याएँ होती थीं, जिसके कारण बिल में देरी या गलतियाँ हो जाती थीं। बिजली सखियों की मदद से विभाग अब समय पर सटीक मीटर रीडिंग प्राप्त करेगा और महिलाओं को अपने घर के पास ही रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।

 

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योजना के प्रमुख बिंदु

  • इसे छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के आदिवासी-बहुल Jashpur जिले में शुरू किया है।
  • इस योजना के तहत, ग्राम पंचायतों में रहने वाली और स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं को “बिजली सखी” के रूप में नियुक्त किया गया है।
  • इन महिलाओं को मीटर रीडिंग करने और उपभोक्ताओं को बिजली बिल वितरित करने का कार्य दिया गया है — विशेष रूप से उन गांवों में जहाँ अभी तक उक्त कार्य बिजली विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण था।
  • प्रत्येक मीटर रीडिंग के लिए उन्हें लगभग ₹12 का भुगतान किया जाता है।
  • महिलाएं मासिक लगभग ₹4,000–6,000 तक कमा रही हैं।
  • इससे वार्षिक आय ₹50,000–₹60,000 के आसपास हो रही है, जिससे “लक्षपति दीदी” बनने का अवसर कहा गया है।

बिजली सखी योजना की मुख्य बातें

किसके द्वारा लॉन्च मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
जिला जशपुर, छत्तीसगढ़
विभाग छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी
चयनित महिलाएँ 21 स्वयं सहायता समूह की सदस्य
मासिक आय ₹4,000 से ₹6,000
प्रति मीटर रीडिंग भुगतान ₹12
अनुमानित वार्षिक आय ₹50,000 से ₹1,00,000
पायलट क्षेत्र बगीचा विकासखंड

उद्देश्य एवं लाभ

  • महिलाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सक्रिय भागीदार बनाना और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत करना।
  • विद्युत उपभोक्ताओं के लिए बेहतर सेवा सुनिश्चित करना — समय पर मीटर रीडिंग व बिल वितरण जैसी चुनौतियाँ दूर करना।
  • बिजली विभाग की पहुँच जहाँ कठिन थी वहाँ स्थानीय स्तर पर सुविधाएँ बढ़ाना।
  • स्थानीय रोजगार सृजन के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देना।

पायलट एवं विस्तार

  • यह पायलट परियोजना जशपुर जिले के बगीचा विकासखण्ड की 21 ग्राम पञ्चायतों में शुरू हुई थी।
  • यदि सफल रही, तो आगे अन्य विकासखण्डों या पूरे जिले/राज्य में विस्तार की संभावना है।

कुछ बातें ध्यान देने योग्य

  • योजना अभी प्रारंभिक अवस्थामें है — पूरी राज्य-व्यापी नहीं बल्कि पायलट के रूप में शुरू हुई है।
  • महिला की आर्थिक आय सम्बंधित आंकड़े जैसे “₹1 लाख +” आदि मीडिया रिपोर्ट्स में अनुमान के आधार पर दिए गए हैं — वास्तविकता में यह आय अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए बताया गया है कि ₹50,000–60,000 प्रति वर्ष तक कमाई हो रही है।
  • आवेदन-पात्रता, चयन प्रक्रिया, प्रशिक्षण आदि की विस्तृत जानकारी अभी सीमित रूप में उपलब्ध है। यदि आप आवेदन करना चाहती हैं या किसी गाँव में कार्यक्रम लागू है, तो जिला प्रशासन या बिजली विभाग से संपर्क करना बेहतर होगा।

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बिजली सखी योजना कैसे काम करती है?

  1. चयनित महिलाएँ: योजना में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, विशेषकर स्व-सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं को “बिजली सखी” के रूप में चुना जाता है।

  2. प्रशिक्षण: चुनी गई महिलाओं को बिजली मीटर रीडिंग और बिल वितरण के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाता है।

  3. मीटर रीडिंग: बिजली सखियाँ अपने गाँव या मोहल्ले में जाकर घरों और व्यवसायों के बिजली मीटर की सही रीडिंग करती हैं।

  4. बिल वितरण: मीटर रीडिंग के आधार पर बिजली बिल बनाकर उन्हें उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है।

  5. भुगतान: प्रत्येक मीटर रीडिंग या बिल वितरण के लिए महिलाओं को निश्चित भुगतान किया जाता है, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त होती है।

  6. लाभ:

    • ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर और सही मीटर रीडिंग सुनिश्चित होती है।

    • महिलाओं को अपने घर के पास रोजगार के अवसर मिलते हैं।

    • बिजली विभाग की सेवाओं में सुधार होता है और उपभोक्ताओं को सही बिल मिलते हैं।

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